हंस सन १९३३ ई० में प्रेमचन्द ने इसका काशी विशेषांक बडे परिश्रम से निकाला। वे सन १९३० से १९३६ तक इसके संपादक रहे। उसके बाद जैनेन्द्र और शिवरानी देवी ने इसका संपादन प्रारम्भ किया। इसके विशेषांकों में "प्रेमचन्द स्मृति अंक", "एकांकी नाटक अंक"१९३८, "रेखाचित्र अंक", "कहानी अंक", "प्रगति अंक" तथा "शान्ति अंक" विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। जैनेन्द्र और शिवरानी देवी के बाद इसके संपादक शिवदान सिंह चौहान और श्रीपत राय फिर अमृतराय और फिर नरोत्तम नागर रहे।
बहुत दिनों बाद सन १९५९ ई० में उसका वृहत् संकलन रूप सामने आया जिसमें बालकृष्णराव और अमृत राय के संपादकत्व में आधुनिक साहित्य और उससे सम्बंधित नवीन मूल्यों पर विचार किया गया।
Friday, June 27, 2008
माधुरी
माधुरी पत्रिका का प्रकाशन अगस्त १९२१ ई० में लखनऊ से हुआ। इसके संपादक विष्णुनारायण भार्गव थे। प्रारम्भ में कई वर्ष तक इसके संपादक दुलारेलाल भार्गव और रूपनारायण पाण्डेय थे। बादमें प्रेमचन्द और कृष्णबिहारी मिश्र ने इसका संपादन किया। इसके अतिरिक्त कुछ समय तक इसका संपादन जगन्नाथदास रत्नाकर और ब्रजरत्नदास भी करते रहे। १९२५ में कुछ समय तक आचार्य शिवपूजन सहाय ने भी इसका संपादन किया। हिन्दी की प्रारम्भिक पत्रिकाओं में "[[सरस्वती पत्रिकासरस्वती]]" के साथ ही "माधुरी पत्रिका माधुरी" की गणना होती है। अमृतलाल नागर ने भी मेरी प्रिय कहानियाँ में लिखा है कि उनकी पहली कहानी १९३४ में माधुरी में छपी थी।
मर्यादा
मर्यादा पत्रिका का पहला अंक नवम्बर सन [[१९१०]] ई० में [[कृष्णकान्त मालवीय]] ने 'अभ्युदय' कार्यालय प्रयाग से इसे प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम अंक का प्रथम लेख 'मर्यादा' शीर्षक से [[पुरुषोत्तमदास टण्डन]] ने लिखा। १० वर्षों तक इस पत्रिका को प्रयाग से निकालने के बाद कृष्णकान्त मालवीय ने इसका प्रकाशन [[ज्ञानमण्डल काशी]] को सौंप दिया। सन १९२१ ई० से श्री शिवप्रसाद गुप्त कस संचालन में और सम्पूर्णानन्द जी के संपादकत्व में "मर्यादा" ज्ञानमण्डल से प्रकाशित हुई। असहयोग आन्दोलन में उनके जेल चले जाने पर धनपत राय [[प्रेमचन्द]] स्थानापन्न संपादक हुए। पत्रिका का वार्षिक मूल्य ५ रुपए तथा एक प्रति का २ आना था। इसका आकार १० * ७ था। मर्यादा अपने समय की सर्वश्रेष्ट मासिक पत्रिका थी। प्रेमचन्द की आरम्भिक कहानियाँ इसमें प्रकाशित हुईं। सन [[१९२३]] ई० में यह पत्रिका अनिवार्य कारणों से बन्द हो गई। इसका अन्तिम अंक प्रवासी विशेषांक के रूप में [[बनारसीदास चतुर्वेदी]] के सम्पादन में निकला, जो अपनी विशिष्ट लेख सामग्री के कारण ऍतिहासिक महत्त्व रखता है।
Thursday, June 26, 2008
चाँद
चाँद पत्रिका का प्रकाशन सन १९२३ में इलाहाबाद से हुआ। इसके संपादक नंद गोपाल सिंह सहगल, महादेवी वर्मा, नन्द किशोर तिवारी रहे। कुछ दिनो तक इसका संपादन मुंशी नवजादिक लाल ने किया था। इस पत्रिका में नारी जीवन से सम्बंधित चर्चा अधिक रहती थी। ‘चाँद’ का मारवाणी अंक अपने समय में बहु चर्चित रहा। साहित्यिक होते हुए भी इस में समाज सुधार की प्रवृत्ति बलवती रही। इसका एक विशेषांक ‘फाँसी’ नाम से भी प्रकाशित हुआ था।
-(डा0 हरदेव बाहरी, साहित्य कोष, भाग-2, पृ0-184)
-(डा0 हरदेव बाहरी, साहित्य कोष, भाग-2, पृ0-184)
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