Friday, June 27, 2008

हंस

हंस सन १९३३ ई० में प्रेमचन्द ने इसका काशी विशेषांक बडे परिश्रम से निकाला। वे सन १९३० से १९३६ तक इसके संपादक रहे। उसके बाद जैनेन्द्र और शिवरानी देवी ने इसका संपादन प्रारम्भ किया। इसके विशेषांकों में "प्रेमचन्द स्मृति अंक", "एकांकी नाटक अंक"१९३८, "रेखाचित्र अंक", "कहानी अंक", "प्रगति अंक" तथा "शान्ति अंक" विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। जैनेन्द्र और शिवरानी देवी के बाद इसके संपादक शिवदान सिंह चौहान और श्रीपत राय फिर अमृतराय और फिर नरोत्तम नागर रहे।
बहुत दिनों बाद सन १९५९ ई० में उसका वृहत् संकलन रूप सामने आया जिसमें बालकृष्णराव और अमृत राय के संपादकत्व में आधुनिक साहित्य और उससे सम्बंधित नवीन मूल्यों पर विचार किया गया।

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